Sawan Putrada Ekadashi 2024 Date And Time :- आपके जीवन में खुशियाँ लाने वाला यह एकादशी! जानिए सावन पुत्रदा एकादशी 2024 की तारीख और समय
16 अगस्त 2024 को मनाई जाने वाली सावन पुत्रदा एकादशी का महत्व हिन्दू धर्म में बहुत अधिक है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है और पुत्र प्राप्ति की कामना करने वाले भक्त व्रत रखते हैं। यह दिन खासतौर पर उन दंपत्तियों के लिए महत्वपूर्ण है जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं।
सावन पुत्रदा एकादशी को लेकर लोगों में भारी उत्साह देखने को मिलता है। इस दिन के लिए व्रत और पूजा का विशेष महत्व होता है। इस एकादशी की शुरुआत 15 अगस्त 2024 को शाम 7:32 बजे होगी और यह अगले दिन, यानी 16 अगस्त 2024 को शाम 6:29 बजे समाप्त होगी। इस दौरान भक्तगण व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना करेंगे और संतान प्राप्ति की कामना करेंगे।
सावन पुत्रदा एकादशी की पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है जब महीस्मती नगरी के राजा सुकेतुमान और उनकी रानी शैव्या संतान सुख से वंचित थे। वे दोनों पुत्र प्राप्ति के लिए अनेक उपाय कर चुके थे, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। एक दिन राजा सुकेतुमान वन में चले गए और वहां उन्हें महर्षि लोमश मिले। महर्षि ने राजा को सावन पुत्रदा एकादशी व्रत की महिमा बताई और उन्हें व्रत करने का परामर्श दिया। राजा ने व्रत किया और जल्द ही उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।
इस व्रत के पीछे यही मान्यता है कि इसे रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और संतान सुख का आशीर्वाद देते हैं। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके, स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पूजा में तुलसी दल, पीले फूल, पीला वस्त्र, धूप, दीप, फल और पंचामृत का उपयोग करना चाहिए।
भक्तगण इस दिन उपवास रखते हैं और सिर्फ फलाहार करते हैं। इस दिन अन्न ग्रहण करना वर्जित माना जाता है। इसके अलावा, इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना भी अनिवार्य होता है। शाम के समय भगवान विष्णु की आरती कर प्रसाद वितरण किया जाता है। व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है।
सावन पुत्रदा एकादशी व्रत को लेकर लोग अनेक प्रकार के उपाय और टोने-टोटके भी अपनाते हैं। इस दिन विशेष रूप से गोदान का महत्व होता है। कहा जाता है कि गोदान करने से भगवान विष्णु अति प्रसन्न होते हैं और व्रत करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन गरीबों और ब्राह्मणों को दान देने का भी विशेष महत्व है।
व्रतधारी लोग इस दिन भगवान विष्णु के मंदिरों में जाकर उनकी मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाते हैं और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करते हैं। इससे मन को शांति मिलती है और सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यह सावन मास में आता है, जो भगवान शिव और विष्णु दोनों को अत्यंत प्रिय है।
सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत उन दंपत्तियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है जो संतान सुख से वंचित हैं। इसके साथ ही, इस व्रत को करने से परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
इस वर्ष, सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत करने के लिए भक्तगण पूरी तैयारी में हैं। व्रत की विधि और महत्व को समझते हुए लोग अपने घरों में पूजा की तैयारी कर रहे हैं। इस दिन की पवित्रता और धार्मिकता को बनाए रखने के लिए लोग अपने घरों में भी स्वच्छता का विशेष ध्यान रखते हैं।
सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से न केवल संतान सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन में सभी प्रकार के कष्टों और समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। इसलिए इस व्रत को पूरे विधि-विधान के साथ करना चाहिए और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करनी चाहिए।
सावन पुत्रदा एकादशी के व्रत का पालन करने वाले भक्तों को चाहिए कि वे इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की उपासना करें और उनकी कृपा प्राप्त करें। इस व्रत का महत्व और फल अत्यंत शुभ और कल्याणकारी होता है। इसलिए, सभी भक्तों को इस व्रत का पालन करना चाहिए और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करनी
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